Thursday, 11 May 2017

वायुमंडल की संरचना एवं संघटन(Geography)




  वायुमंडल की संरचना एवं संघटन

कृत्रिम उपग्रहों के ध्वनि के आधार पर पता लगाया गया है कि वायुमंडल की ऊंचाई 80000- 82000 किलोमीटर तक है यह तिन प्रकार के अवयवों से बना है गैस,धूलकण तथा जल वाष्प से |

हल्के गैस अर्थात हाइड्रोजन और हीलियम ऊपर तथा भारी गैस अर्थात कार्बन डाई ऑक्साइड ऑक्सीजन नीचे के स्तर में स्थित होते हैं ऊपरी और निचले वायुमंडल की विभाजक रेखा 90 किलोमीटर ऊंचाई है अर्थात 90 किलोमीटर ऊंचाई तक सम वायुमंडल है यहां सभी  गैसों की अनुपात बराबर है लेकिन 90 किलोमीटर से अधिक ऊंचाई वाला वायुमंडल विषम वायुमंडल है यहां गैसीय अनुपात विषम है 97% वायुमंडलीय भार मात्र 29 किलोमीटर की ऊंचाई तक है 50% वायुमंडलीय भार मात्र 5.484 किलोमीटर की ऊंचाई तक है 29 किलोमीटर ऊंचाई तक गैसीय अनुपात में कोई अंतर नहीं होता है 29 किलोमीटर की ऊंचाई तक शुष्क वायुमंडल में 99.98%  नाइट्रोजन,आक्सीजन,आर्गन,कार्बन डाइऑक्साइड, है | ओजोन की उपस्थिति 18 - 35 किलोमीटर के बीच है |यह यह पराबैंगनी किरणों को सोखती है|ओजोन की उपस्थिति ताप मंडल में भी है वर्तमान समय में ओजोन परत में पतन की  प्रकृति प्रारंभ हुई है जो मुख्यतः अंटार्कटिक और आर्कटिक क्षेत्रों में देखने को मिलती है जिसका प्रमुख कारण क्लोरोफ्लोरोकार्बन गैस है निचले वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की वृद्धि हो रही है  इसका भी प्रतिकूल प्रभाव वायुमंडल पर पड़ा| इसी के प्रभाव से वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की छतरी नुमा आकृति बन गई |

वर्तमान समय में वायुमंडल की निचली सीमा में कार्बन डाई ऑक्साइड की उपस्थिति 0.03% है लेकिन  अगले कुछ वर्षों में यह 0.04%  हो जाएगा | इतना होने पर समुद्र की सतह 8 - 9 मीटर ऊपर उठ जाएगा |

ऊपरी वायुमंडल 90 -10000 किलोमीटर के बीच की स्थिति है यहाँ गैसीय परत पाया जाता है जिसमें अलग-अलग ऊंचाई पर नाइट्रोजन,हीलियम एवं हाइड्रोजन के परत पाए जाते हैं |

धूलकण  दो प्रकार के होते हैं पार्थिव धूलकण  तथा प्रमाणिक धूलकंण |
पार्थिव धूलकण- पार्थिव धूलकण पृथ्वी की सतह से प्राप्त होने वाला धूलकण है जो मुख्य सतह से अधिक से अधिक 12 किलोमीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है |
पार्थिव धूलकण की सघनता से ही बादलों का भी निर्माण होता है |
इनसे उपस्थिति का बहुत बड़ा कारण जलवाष्प है|

प्रमाणिक धूलकंण-प्रमाणिक धूलकंण 50-100 किलोमीटर के बीच उपस्थित होते हैं उपस्थिति का मुख्य कारण ब्रह्मांडीय कणों का टूटना है धूलकंण की उपस्थिति मुख्यता निचले वायुमंडल में ही है |

जलवाष्प भी वायुमंडल के निर्माण में भूमिका निभाती है यह मुख्यता 12 किलोमीटर पाई जाती है जलवाष्प के रूप में संपूर्ण स्वच्छ जल का 0.035% वायुमंडल में उपस्थित है|वायुमंडल में जल गैसीय,हिमकणों तथा जल के बूंदों की अवस्था में है |वायुमंडल में इसका अधिवास अस्थाई होता है क्योंकि वायुमंडल में तापमान में वृद्धि तथा संघनन और वर्षा के रूप में नीचे गिरने से मात्रा घटती है |
जलवाष्प का सबसे बड़ा स्रोत समुद्री क्षेत्र है जलवाष्प मध्य मंडल में भी पाया जाता है इसी कारण से मध्य मंडल में नौकटी लुसेंट बादल बनते हैं जो सर्वाधिक ऊंचाई के बादल हैं| ये जलवाष्प के कण जेट हवाओं द्वारा समताप मंडल में भ्रमण करते हैं और वहां से अधिक तापीय प्रभाव के कारण मध्यमंडल में चले जाते हैं |
मध्यमंडल की विशेषता है कि वहाँ तापीय  गिरावट होती है जिसके कारण वे संतृप्त वायु का रूप लेकर हिमकण में बदल जाते हैं और यह हिम कम ही सर्वाधिक ऊंचाई के बादल समूह का निर्माण करते हैं|
वायुमंडल के संरचनात्मक विशेषता भी है इसमें तापीय स्तर पाया जाता है तापीय स्तर को छह वर्गों में विभाजित किया गया है जो NASA द्वारा जारी तालिका से स्पष्ट होता है|


मंडल                                           ऊंचाई                                                      विशेषता

(1.)क्षोभमंडल                                          18 km                                                   तापमान घटता है
    क्षोभ सीमा                                         1.5 km  चौड़ा
(2.)समताप मंडल                                     50 km                                                  तापमान समान रहता है
    समताप सीमा                                     5 km  तक चौड़ा                                     
(3.) मध्य मंडल                                        80 km                                                    ताप घटता है
     मध्य सीमा                                        10 km  चौड़ा                              
(4.) ताप मंडल                                          500 km                                                  तापमान बढ़ता है
      ताप सीमा                                         10 km  तक चौड़ा                                     
(5.)   बहिर्मंडल                                         2000 km                                                 ताप बढ़ता है
(6.) चुंबकीय मंडल                                     80000 km                                               ताप बढ़ता है

                        श्रोत-  नासा द्वारा जारी रिपोर्ट |
                                     

                                                         क्षोभमंडल   
क्षोभ मंडल की ऊंचाई 18 km तक है इसमें ऊंचाई के साथ तापमान घटता है इसी मंडल में मौसम संबंधी सभी क्रियाएं होती है जैसे बादलों का निर्माण,बिजली चमकना,आंधी-तूफान इत्यादि अतः इस मंडल को परिवर्तन मंडल भी कहा जाता है इस के ऊपरी सीमा पर ही जेट हवाएं चलती है जिसका प्रभाव क्षोभ सीमा तथा समताप मंडल में भी देखने को मिलता है |
क्षोभमंडल के ऊपरी भाग में 1.5 km की चौड़ाई में  क्षोभसीमा पाया जाता है क्षोभसीमा में क्षोभ मंडल तथा समताप मंडल दोनों की ही विशेषताएं पाई जाती हैं|


                                  समताप मंडल
यह 50 km की ऊंचाई तक पाया जाता है इस में तापमान एक समान होते हैं इसी मंडल में ओजोन की उपस्थिति होती है |वह क्षेत्र जहां ओजोन मंडल पाए जाते हैं तापमान तुलनात्मक दृष्टि से अधिक पाया जाता है|

समताप मंडल और मध्य मंडल के बीच 5 किलोमीटर की चौड़ाई में समताप सीमा पाई जाती हैं जिसमें समताप मंडल और मध्य मंडल दोनों की विशेषताएं उपस्थित होती है|


                                                        मध्य मंडल
यह 80 km की ऊंचाई तक पाया जाता है इस में ऊंचाई के साथ तापमान घटता है इसी मंडल में नौकटी लुसेंट बादल का निर्माण होता है जो सर्वाधिक ऊंचाई का बादल है |
 मध्य मंडल और  ताप मंडल के बीच 10 किलोमीटर की चौड़ाई में मध्य सीमा पाया जाता है जिसमें मध्य मंडल और ताप मंडल दोनों की विशेषताएं पाई जाती है|


                                                        ताप मंडल
यह 500 km की ऊंचाई तक पाया जाता है इसमें ऊंचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती है इसी मंडल में ऊंचे अक्षांशों पर चमकते हुए रोशनी दिखाई देती है जिसे उत्तरी गोलार्ध में अरोरा बोरोलीन और दक्षिणी गोलार्ध में अरोरा  ऑस्ट्रेलिस कहते हैं|
यह वस्तुतः प्रकाश है जो 300 - 380 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच चमकती है  इसका रंग लाल और हरा है|


                                                       बहिर्मंडल


यह 200 किलो मीटर की ऊंचाई तक विस्तृत है इसमें ऊंचाई के साथ तापमान बढ़ता है इस में ऑक्सीजन,  हीलियम और सिलिकॉन के परमाणु पाए जाते हैं|


                                                   चुंबकीय मंडल
यह 80000 किलोमीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है इस में ऊंचाई के साथ तापमान में वृद्धि होती है इसमें इलेक्ट्रॉन तथा प्रोटोन की बहुलता है जो क्रमश:   ऋणात्मक और धनात्मक विधुत आवेशों से प्रभावित होते हैं|
इस मंडल का पर्याप्त अध्ययन नहीं हो सका है हाल के वर्षों में ऐसा पाया गया है कि सूर्य के सतह पर उठने वाला तूफान के समय चुंबकीय मंडल के तापमान में वृद्धि होती है| और उसका प्रभाव अन्य तापीय स्तर पर पड़ता है |अतः मौसम वैज्ञानिकों द्वारा चुंबकीय मंडल के अध्ययन को प्राथमिकता दी जा रही है  विद्वानों के अनुसार मौसम के दीर्घकालीन भविष्यवाणी में यह अधिक लाभकारी सिद्ध होगी|






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